नए राजनीतिक जमीन पर सैफई परिवार में रिश्तों की नई गर्माहट….
ये एक चिट्ठी नहीं आने वाली सियासत का मजमून है , ये एक चिट्ठी नहीं एक भरा पूरा आशीर्वाद है , ये आशीर्वाद एक पितातुल्य चाचा ने अपने पुत्रतुल्य भतीजे के लिए लिखा है। आज उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बहुप्रतीक्षित और समाजवादी पार्टी ही नहीं पूरे “सैफई परिवार” और साथ ही दोनों पार्टियों के लाखों समर्थकों के लिए एक सुखद खबर आई. जब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और नेताजी मुलायम सिंह यादव के सहोदर शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री , समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को आशीर्वाद स्वरूप धन्यवाद पत्र प्रेषित किया।
ये पत्र उनकी विधानसभा सदस्यता के सन्दर्भ में था क्योंकि पिछले दिनों समाजवादी पार्टी ने शिवपाल यादव की विधानसभा सदस्यता को निरस्त किये जाने की संस्तुति को विधानसभा अध्यक्ष से निरस्त किये जाने की अपील की थी। जिसके बाद आज प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अध्यक्ष शिवपाल यादव ने उसी पत्र के सम्बन्ध में अपना जवाब भेजा था।
जो पत्र शिवपाल यादव की तरफ से अखिलेश यादव को भेजा गया है उसकी भाषा ही पूरी कहानी कहने के लिए काफी है. पत्र में उन्होंने जो शब्द लिखे उससे उत्तर प्रदेश की सियासत का भविष्य परिलक्षित है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अध्यक्ष शिवपाल यादव के द्वारा प्रेषित पत्र के शब्दों पर गौर करें तो उन्होंने लिखा।
“प्रिय अखिलेश यादव जी , आपके आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मेरी सदस्यता खत्म करने के लिए दी गई याचिका को वापस कर दिया गया है ,इस स्नेहपूर्ण विश्वास के लिए आपका कोटिशः आभार। निश्चय ही यह मात्र एक राजनितिक परिघटना नहीं है , बल्कि आपके इस तरह के स्पष्ट , सार्थक व सकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परिधि में आपके नेतृत्व में एक नव-राजनीतिक विकल्प व नवाक्षर का भी जन्म होगा। स्नेह के साथ , आपका शिवपाल यादव”।
इन शब्दों के गहराई में जायें तो हर एक शब्द में नयापन छिपा है। ये नयापन रिश्तों में गर्माहट तो लाती ही दिखाई पड़ती है. साथ ही इससे उत्तर प्रदेश की आगामी राजनीतिक जमीन में विकल्प की एक फसल भी पैदा होती दिखाई पड़ती है।
इन बदले हुए परिदृश्य में गुजरे लगभग 4 साल में हर राजनीतिक गहमागहमी के बीच एक सवाल हमेशा निरुत्तर बना रहा कि आखिर भविष्य क्या होगा समाजवादी पार्टी का ? जिसका जवाब दोनों खेमों की तरफ से इसे “खाली स्थान भरें” टाइप विकल्प की तरह (ऑप्शनल ) बनाकर छोड़ दिया गया।
खैर , इस बदले माहौल से यही कहा जा सकता है कि महत्वकांक्षाओं की राजनीतिक शतरंज वाली बिसात पर कुछ चालें समयानुसार , परिस्थिति अनुकूल “मौसम” को देखते हुए चली जाती हैं। आज आंकलन करें तो दोनों सियासतदां अपनी अपनी संगठनात्मक राजनीतिक वर्चस्व में सफल हुए हैं.
समाजवादी पार्टी की बेल से निकली दो शाखाएं एक शिखर पर पहुंचकर एक साथ एक दूसरे का हाथ थामने को सहमत दिखाई पड़ती हैं. जो समाजवादियों के राजनीति के लिए शुभ संकेत है। वैसे भी इस 21वी सदी की बदली हुई सियासत में कभी कोई दुश्मन नहीं होता और सियासत में जब सामने अपना हो तो नाराजगी ज्यादा दिन की होती नहीं। लिहाजा जो भी नया प्रारूप इस समीकरण से बनेगा वो इस वक़्त समय के गर्भ में है लेकिन इतना तय है यह समीकरण उत्तर प्रदेश की 2022 की चुनावी राजनीतिक जमीन पर एक नयी फसल तैयार करने के लिए अनुकूल है।
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