50 साल की मेहनत लाई रंग ,70 फुट लंबा तालाब बनकर तैयार

पशुओं को लेकर सुबह ही पहाड़ पर पहुंच जाता और अपने काम में जुट जाता। मौसम और दिन-रात की परवाह किए बिना अपने काम में लगा रहता।

चरखी दादरी : इंसान के जज्बे और जुनून के सामने पहाड़ सरीखी ऊंचाइयां भी कम पड़ जाती हैं। इसकी मिसाल हरियाणा के चरखी दादरी जिले के अटेला कलां निवासी कल्लूराम (89) हैं। उन्होंने करीब 4000 फुट ऊंची पहाड़ी पर पत्थरों को काटकर पशुओं के पानी पीने के लिए तालाब बना डाला। इस काम में उन्हें पूरे 50 वर्ष लगे। वर्ष 2010 में बनकर तैयार हुए इस तालाब से हर साल सैकड़ों पशुओं की प्यास बुझ रही है। चरखी दादरी के डीसी श्यामलाल पूनिया और सांसद धर्मबीर सिंह ने हाल में मौके का निरीक्षण करने के बाद कल्लूराम के साहस को सलाम किया है। हालांकि 12 साल बाद भी उस तालाब तक रास्ता न बनाए जाने की टीस कल्लूराम के मन में है।

दिन-रात की परवाह किए बिना करते थे काम

कल्लूराम के साहसिक कार्य पर संवाददाता ने उनके घर पहुंचकर बातचीत की। कल्लूराम ने बताया कि 18 वर्ष का था, तब अटेला कलां स्थित पहाड़ी पर पशुओं को चराने के लिए जाता था। एक दिन पहाड़ पर प्यास से तड़पकर गोवंश की मौत हो गई। यह देखने के बाद उनके मन में काफी टीस हुई और पहाड़ के ऊपर तालाब बनाने का ख्याल आया। उस दिन मन में प्रण लिया कि पहाड़ को काटकर यहां एक दिन अवश्य तालाब बनाऊंगा। कल्लूराम ने बताया कि अगले ही दिन छैनी और दस किलोग्राम वजनी हथौड़ा लेकर पहाड़ पर पहुंच गया। इसके बाद तो यह दिनचर्या बन गई। पशुओं को लेकर सुबह ही पहाड़ पर पहुंच जाता और अपने काम में जुट जाता। मौसम और दिन-रात की परवाह किए बिना अपने काम में लगा रहता।

50 साल की मेहनत रंग लाई

करीब 50 साल की मेहनत रंग लाई। पहाड़ के ऊपर 65 फुट चौड़ा, 38 फुट गहरा और 70 फुट लंबा तालाब बनकर तैयार हो गया। कल्लूराम को उन दिनों की एक-एक चुनौती अच्छे से याद है। हाल की बारिश के बाद तालाब का जलस्तर बढ़ गया है, लेकिन उन्हें इस बात का मलाल है कि ग्रामीणों की मांग के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी या जनप्रतिनिधि अब तक तालाब तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं बनवा सके हैं।कल्लूराम का कहना है कि जिस समय उसने तालाब बनाने के संकल्प का गांव में जिक्र किया तो उसका मजाक बनाया गया। यहां तक कि कुछ लोगों ने उसके घर पहुंचकर माता-पिता को भी भड़काया और ताने दिए। इसके बावजूद इसके अपने प्रण पर अडिग रहा। तालाब बनकर तैयार हो गया, तो ताने देने वाले ही उसके जज्बे के मुरीद हो गए।

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