34 साल बाद एजुकेशन नीतियों में हुआ ये बड़ा बदलाव, मोदी कैबिनेट ने प्रस्ताव को दी हरी झंडी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 34 सालों से शिक्षा नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल की कैबिनेट ने शिक्षा नीति को मंजूरी मिल जाने के बाद उसकी खास-खास बातें बताई। इस मौके पर केंदीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि देशवासी इसका स्वागत करेंगे।
-5वीं तक कम से कम व आठवीं व उससे आगे भी मुमकिन हुआ, तो लोकल भाषा या मातृभाषा में पढ़ना होगा। यानी कि हिंदी, अंग्रेजी जैसे विषय भाषा के पाठ्यक्रम के तौर पर तो होंगे, लेकिन बाकी पाठ्यक्रम लोकल भाषा या मातृभाषा में होंगे।
-अभी तक हमारे देश में स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता है लेकिन अब ये 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से होगा। यानी कि प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवी तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवी तक तीसरा भाग व नौंवी से 12 तक आखिरी भाग होगा।
-छात्र अपनी मर्जी व स्वेच्छा के आधार पर विषय का चयन कर सकेंगे। अगर कोई विद्यार्थी विज्ञान के साथ संगीत भी पढ़ना चाहे, तो उसे ये विकल्प होगा। वोकेशनल पाठ्यक्रम कक्षा छठी से प्रारम्भ हो जाएंगे।
-बोर्ड इम्तिहान को ज्ञान आधारित बनाया जाएगा व उसमें रटकर याद करने की आदतों को कम से घटाया जाएगा।
-बच्चा जब स्कूल से निकलेगा, तो ये तय किया जाएगा कि वो कोई ना कोई स्किल लेकर बाहर निकले।
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