नींद में चलने वाले लोगों का दिमाग अक्सर होता हैं तेज़, शोध में हुआ खुलासा
स्लीपवाकिंग एक विचित्र प्रकार की गंभीर मनोवैज्ञानिक बीमारी है जो कि कुछ ही लोगों में पायी जाती है। जिसे सोमनाबुलिज्म या स्लीपिंग डिसऑर्डर भी कहा जाता है। इस रोग में रोगी नींद में ही चलने लगता है। इस बीमारी से ग्रसित रोगी रात में नींद से उठकर अपने बिस्तर से चलता है और एक जागे हुए मनुष्य की तरह विभिन्न कार्य को आसानी से कर देता है। उसे पता ही नहीं चलता कि वो रात को क्या कर रहा था।
शोध्कर्ताओं ने रिसर्च के दौरान नींद में चलने वाले लोगों के साथ साधारण नींद लेने वाले लोगों को एक वर्चुअल टार्गेट की ओर चलने के लिए कहा। इस टेस्ट में पाया गया कि इस टास्क में जब कुछ चुनौतियां डाली गईं तो दोनों तरह के लोगों के प्रदर्शन में काफी फर्क देखा गया।
इन लोगों को चलते-चलते उल्टी गिनती बोलने के लिए कहा गया। इस दौरान जिन लोगों को नींद में चलने की बीमारी थी उन पर इस चुनौती का खास फर्क नहीं देखा गया और ऐसे लोगों ने आसानी से अपना टास्क पूरा कर लिया।
सामान्य नींद लेने वाले लोगों को इस टास्क को पूरा करने में काफी दिक्कतें आईं। इस टास्क को देखते हुए शोधकर्ताओं ने बताया कि नींद में चलने वाले लोग ज्यादा बेहतर तरीके से बदलावों को समझकर अपने सारे कार्य करते हैं। एक साथ एक समय पर कई समस्याएं आने पर ऐसे लोगों का दिमाग नींद में नहीं चलने वालों की तुलना में बेहतर तरीके से काम करता है।
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